रायपुर :- छत्तीसगढ़ में जनता की सेहत के नाम पर चल रही मोबाइल मेडिकल यूनिट (MMU) योजना अब गंभीर सवालों के घेरे में है।
राज्य के जनजातीय और ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई यह योजना अब तकनीकी अनियमितताओं, मानक उल्लंघन और अफसर–ठेकेदार की मिलीभगत के आरोपों में उलझती जा रही है।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामकुमार यादव ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय , स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल एवं स्वास्थ्य सचिव को एक विस्तृत पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच और कंपनी पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
धनुष हेल्थ केयर पर आरोप — अनुबंध के विपरीत बनाई गई यूनिट्स
विधायक यादव ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि
प्रदेश सरकार द्वारा मोबाइल मेडिकल यूनिट्स निर्माण का कार्य हैदराबाद की धनुष हेल्थ केयर कंपनी को सौंपा गया था। लेकिन कंपनी ने अनुबंध में तय मानकों का पालन नहीं किया।
पत्र के अनुसार,
वाहनों की लंबाई, ऊँचाई और वजन निर्धारित मानकों से काफी कम पाया गया।जहाँ टेंडर दस्तावेज़ों के अनुसार वाहन का वजन कम से कम 6000 किलोग्राम होना चाहिए था,वहीं निर्मित वाहनों का वजन केवल 4000 किलोग्राम निकला।इसी प्रकार, कार्य क्षेत्र की लंबाई और ऊँचाई भी अनुबंध से घटाई गई है। अनुबंध में स्पष्ट उल्लेख था कि वाहनों की लंबाई 17 से 22 फीट तथा ऊँचाई (कार्यशील भाग) 6.5 फीट से कम नहीं होनी चाहिए। किंतु एजेंसी द्वारा तैयार किए गए वाहनों की लंबाई मात्र 14 फीट और ऊँचाई 6 फीट पाई गई है।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए वाहनों में केवल एक ही गेट लगाया गया है,जबकि एंट्री और एग्जिट के लिए अलग-अलग दरवाज़े अनिवार्य बताए गए थे।यह न केवल मानकों का उल्लंघन है बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है।


बिना सैंपल पास किए संचालन हेतु तैयार!
विधायक यादव ने यह भी आरोप लगाया है कि धनुष हेल्थ केयर कंपनी ने बिना सैंपल पास करवाए ही सभी वाहनों को संचालन हेतु तैयार कर पार्किंग स्थल पर खड़ा कर दिया है।यह प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध है और यह प्रतीत होता है कि कुछ अधिकारी और कंपनी के बीच मिलीभगत से यह कार्य किया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि गाड़ियाँ अनुबंध और तकनीकी मानकों पर खरी नहीं उतरतीं, तो उन्हें स्वीकृति देना सीधे-सीधे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना होगा।

विधायक की मांग — मानक अनुसार गाड़ियाँ पुनः तैयार हों, ठेका निरस्त किया जाए
विधायक रामकुमार यादव ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है
“मैं मांग करता हूँ कि मोबाइल मेडिकल यूनिट्स को अनुबंध में निर्दिष्ट मानकों के अनुरूप दोबारा तैयार करने के निर्देश दिए जाएँ, और यदि कंपनी नियमों का पालन करने में विफल रहती है तो उसका ठेका तत्काल निरस्त किया जाए।”
उन्होंने आगे कहा कि यह मामला केवल तकनीकी त्रुटि का नहीं बल्कि जनता की सेहत और सरकारी धन के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण है।
मीडिया रिपोर्ट के बाद बढ़ा दबाव
गौरतलब है कि 10 अक्टूबर 2025 को प्रदेश के प्रतिष्ठित अखबार में प्रकाशित एक प्रमुख रिपोर्ट में
मोबाइल मेडिकल यूनिट्स में तकनीकी खामियों और मानक उल्लंघन का खुलासा किया गया था।
रिपोर्ट सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और ठेका एजेंसी पर सवाल उठने लगे हैं। इससे पूर्व भी The लाल10 ने भर्ती प्रक्रिया में पैसे लेन देन और तकनीकी खामियों मानक उल्लंघन पर प्रमुखता के साथ मामले का उजागर किया था।
अब विधायक रामकुमार यादव द्वारा मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य सचिव को लिखे गए पत्र के बाद पूरा मामला और गरमाने की संभावना है।
जनता की उम्मीदें और सवाल
राज्य के हजारों ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र के लोग इस योजना से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की उम्मीद कर रहे थे,
लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि —
क्या यह योजना जनता के स्वास्थ्य के लिए बनी थी,
या फिर कुछ लोगों के ठेकों और कमीशन के लिए?
विधायक यादव का पत्र इस बात का संकेत है कि
मामला अब केवल प्रशासनिक स्तर तक सीमित नहीं रहेगा,बल्कि राजनीतिक और जनहित के मुद्दे के रूप में उभर सकता है।अब यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल इस पर क्या कदम उठाते हैं —क्या निष्पक्ष जांच होती है, या फिर मामला मिलीभगत के साये में रफा-दफा कर दिया जाएगा।
