धर्म शब्द का मूल अर्थ है जिसे हम धारण करें या अपने स्वभाव में अपनाएं । यह संस्कृत की धर् धातु से बना है ।धर्म का मतलब है जिस काम के लिए हम बने हैं वैसे ही आचरण करें। जैसे जल का धर्म है बहना। पेड़ का धर्म है फल और छाया देना सूर्य का धर्म है जीवन को पोषण देना। चंद्रमा का धर्म है शीतलता ।

बाद में धर्म का अर्थ मत हो गया। जैन धर्म, बौद्ध धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म, सिख धर्म,यह सब व्यक्ति आधारित पंथ थे जो लिखित निर्देशों का पालन करते थे। लेकिन सनातन धर्म में कोई लिखित निर्देश नहीं थे और कोई व्यक्ति आदेश देने वाला भी नहीं था । आप भगवान को मानने या न मानने के लिए स्वतंत्र थे। धर्म का संबंध आचरण से था पूजा पाठ से नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back