मकर संक्रांति का पर्व भारत में एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे हर वर्ष जनवरी महीने में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है और ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इसके पीछे कई धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण जुड़े हुए हैं।

मकर संक्रांति का महत्व:

  1. सूर्य की उत्तरायण गति: मकर संक्रांति से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। इसे सकारात्मक ऊर्जा, प्रकाश और जीवन में नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। उत्तरायण को आध्यात्मिक दृष्टि से शुभ माना गया है।
  2. फसल कटाई का पर्व: यह त्योहार मुख्य रूप से फसल कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। किसान अपनी फसल काटने के बाद इस पर्व को खुशी के साथ मनाते हैं। इसे अलग-अलग क्षेत्रों में अलग नामों से जाना जाता है, जैसे:

पंजाब में लोहड़ी

असम में भोगाली बिहू

दक्षिण भारत में पोंगल

गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण

  1. धार्मिक महत्व: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान को पवित्र माना जाता है। यह दिन दान, पूजा और आध्यात्मिक कार्यों के लिए शुभ माना गया है।
  2. सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव: इस दिन लोग पतंगबाजी करते हैं, तिल और गुड़ के लड्डू बांटते हैं, और सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं। यह भाईचारे और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है।
  3. वैज्ञानिक कारण: मकर संक्रांति के समय पृथ्वी सूर्य के चारों ओर ऐसी स्थिति में होती है, जब दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह जीवन में संतुलन और बदलाव का संदेश देता है।

प्रमुख परंपराएं:

तिल और गुड़ का सेवन व दान

नदी स्नान और सूर्य देव की पूजा

पतंगबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रम

नए अन्न और फसलों का पूजन

मकर संक्रांति सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह प्रकृति, विज्ञान, कृषि और संस्कृति के संगम का उत्सव है।

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