गरियाबंद न्यूज़…देवभोग ब्लॉक की पंचायतों को लाखों रुपये की राशि स्वच्छता व्यवस्था सुधारने के लिए आवंटित की गई थी। लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी दावों के बिलकुल उलट है। गांवों की गलियां कचरे के ढेर से पटी पड़ी हैं, नालियां महीनों से साफ नहीं हुईं और बजबजाती गंदगी से ग्रामीण परेशान हैं।

कागजों में सफाई, हकीकत में गंदगी

सरकारी रिकॉर्ड में देवभोग ब्लॉक के 40 पंचायतों ने लगभग 31लाख रुपए खर्च कर डाले, लेकिन गांवों की स्थिति यह बयां करती है कि योजना केवल कागजों तक सीमित रह गई। कचरा प्रबंधन के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है।

ग्रामीणों का आरोप पैसा आया जेब में गया

ग्रामीणों का कहना है कि उनके पंचायतों में सफाई ही नहीं हुई।लोगों का आरोप है कि सरपंचों और अधिकारियों की मिलीभगत से जनता के पैसों की बंदरबांट हुई है। यह सीधे-सीधे जनता के विश्वास और अधिकारों के साथ खिलवाड़ है।

सरपंचों पर बड़े घोटाले का शक

ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत प्रतिनिधियों ने स्वच्छता अभियान की राशि निकालकर अपनी जेबें भर लीं। गांवों में स्थिति जस की तस है, जबकि रिकॉर्ड में सफाई का खर्च दर्ज कर लिया गया।

प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल

इतनी बड़ी राशि खर्च दिखाने के बावजूद जांच और निगरानी क्यों नहीं हुई? यह सवाल आज ग्रामीणों के बीच गूंज रहा है। उन्होंने जिला प्रशासन से तत्काल जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि न्याय नहीं मिला तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।

जनता की नाराजगी चरम पर

स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य गांवों को गंदगी से मुक्त करना था, लेकिन देवभोग ब्लॉक में यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। कचरे के ढेर, बदबूदार नालियां और अस्वच्छ माहौल जनता की नाराजगी को और भड़का रहा है। अब बड़ा सवाल यह है कि जनता के पैसों से हुए इस बंदरबांट पर कब गिरेगी कार्रवाई की गाज?

क्या कहते हैं जनपद पंचायत सीईओ बी.एस.भगत

आपके माध्यम से जानकारी मिली है अगर इस तरह का भ्रष्टाचार हुआ है तो जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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