देवभोग न्यूज़ -: नर्सिंग एक्ट की तमाम नियमों को धत्ता दिखाते हुए मुख्यालय सहित आसपास के 50 गांव में आठवीं पास से लेकर आयुर्वेदिक बीएमएस की डिग्री हासिल कर मलेरिया टाइफाइड सहित गंभीर बीमारियों का असफल इलाज कर लाखों रुपए कमाने में जुटे हुए हैं जिन्हें संरक्षण देने में भी स्वास्थ विभाग भी पीछे नहीं है मतलब गांव गांव के लोगों की जान को सस्ती समझकर झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे छोड़ रखे है। तभी तमाम शिकायतों के बावजूद ठोस कार्यवाही देखने को नहीं मिल रहा है सूत्रों की माने तो बीते 4 माह में 3000 से अधिक मलेरिया का डोज खपत हो चुका है जो गांव गांव आम लोगों को लगाया गया है। यहां तो वह भी मलेरिया का इलाज करते देखे जा सकते हैं। जिनके पास मेडिकल डिग्री तो दूर 12वीं की डिग्री तक नहीं है। और यह कुंमडई खुर्द बरकनी डोंगरीगुड़ा शीतलीजोर मौकागुड़ा दरलीपारा सहित ऐसे कई गांव हैं जहां ऐसे बिना डिग्री वाले झोलाछाप डॉक्टरों को इलाज करते देखा जा सकता है जबकि इंडियन मेडिकल काउंसलिंग सिलेक्ट 1970 के मुताबिक एलोपैथिक दवाई से इलाज वही कर सकते हैं। जिनके पास मान्यता मेडिकल शिक्षा हो जो इंडियन मेडिकल के राज्य केंद्रीय रजिस्टर में पंजीकृत हो लेकिन ब्लॉक में बिना डिग्री रखें कथित डॉक्टर प्रैक्टिशनर एलोपैथिक हाई डोज दवाई के साथ इलाज कर ग्लूकोज इंजेक्शन लगा रहे हैं ऐसा नहीं किया सेवा भाव से लोगों के लिए किया जा रहा है। बल्कि अपनी मुनाफा कमाने के लिए दवाई दुकानों से मनमानी ग्लूकोज दवाई लेकर गांव-गांव के मरीजों को दिया जा रहा है मतलब 8 वीं से लेकर आयुर्वेदिक बीएमएस डॉक्टर भी मलेरिया जैसे क्रिटिकल मरीज का इलाज करने को लेकर सवाल खड़ा किया जाता है बावजूद इसके स्वास्थ्य अमला हाथ पर हाथ धरे नजर आ रहा है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है। कि पूरी वस्तुस्थिति से अवगत जिला प्रशासन कार्यवाही करने की जगह स्थानीय प्रशासन पर सारा ठीकरा फोड़कर साफ-साफ पल्ला झाड़ लेते हैं ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों और झोलाछाप डॉक्टरों के बीच सांठ गांठ का आरोप लगाना स्वाभाविक है तभी वर्षों से झोलाछाप डॉक्टरो ों की दुकान खुलेआम चल रही है। सबसे खास बात तो यह है की झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज का नुकसान आईना की तरह साफ है फिर भी रसूखदार झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अब तक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हो पाई है। जिसका फायदा उठाते हुए गांव गांव में काफी संख्या में झोलाछाप डॉक्टर पनप कर भोले भाले मरीजो को अपने जाल में फंसा कर आर्थिक के साथ साथ शारीरिक नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है जिससे स्थानीय स्वास्थ अमला भी भली भांति अवगत है इसके जिम्मेदार मामला को संज्ञान में लेने की जहमत नहीं उठा रहे हैं।

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