सक्ति। अवैध शराब के कारोबार को लेकर जिले के जिम्मेदार बेसुध नजर आ रहें है, जिसके चलते जिले में शराब बेचोलियों का मनोबल तेजी से बढ़ने लगा है, अवैध शराब के व्यापार का ताजा उदाहरण जिले के प्रत्येक ब्लाक से गांव गांव के चौक चौराहों में शाम ढलते ही शराबियों के होड़ साफ देखने को मिल जायेगा। लगता है जिले में अवैध शराब बिक्री को लेकर जिले के जिम्मेदार भी आंख में पट्टी बांधे हुए है, तभी तो वृत्त क्षेत्र के प्रभारी भी अपने कर्तव्यों से विमुख हुए नजर आ रहें हैं। बीते कुछ समय से सक्ती सहित अनेकों वृत्त क्षेत्र में अवैध शराब निर्माण एवं बिक्री का कारोबार लगातार बड़ने लगा है। सक्ती व बाराद्वार, जैजैपुर, डभरा क्षेत्र में अवैध शराब निर्माण कार्य के बड़ते कारोबार पर आबकारी विभाग की कार्यशैली भी समझ से परे है। आबकारी वृत्त प्रभारियों द्वारा छोटे छोटे अवैध कारोबारियों पर कार्यवाही कर वाहवाही बटोरी जाति है। जबकि सक्ती जिला मुख्यालय के आस पास में ही ऐसे अनेक गांव हैं जहां भारी मात्रा में अवैध शराब निर्माण एवं थोक में आसपास पहुंचाने का कार्य चल रहा है। जिसमे आबकारी वृत्त किसी प्रकार का कोई लगाम लगा पाने में सफल नजर नहीं आते हैं। सक्ती क्षेत्र में मंद्रागोढ़ी, टेमर, रायपुरा, सिघंसरा, डिक्सी, पलाड़ी कला, आमादहरा, हरदी, तानडुलडीह, कुम्हारी पठान, बाराद्वार बस्ती, जैसे जगहों पर बीते पांच छः माह में अवैध कच्ची शराब निर्माण एवं बिक्री का व्यापार बड़े पैमाने में चरम पर है।

सक्ति सहित जैजैपुर,बाराद्वार,हसौद क्षेत्र में गांव – गांव बिक रहा महुआ शराब

सक्ती व बाराद्वार, जैजैपुर, हसौद के क्षेत्र में शहर से लेकर गांव गांव में शाम होते ही मदिरा प्रेमियों का महफिल जमने लगता है। गांव में ज्यातर बिकने वाली शराब हाथ से निर्मित कच्ची महुआ शराब होती है। जो एक प्लास्टिक में पैक रहता है। पहले यह शराब दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में मिलता था। मगर जब से बाराद्वार और सक्ती को एक वृत्त बनाया गया है तब से सक्ती व बाराद्वार नगर आसपास गांव इस प्लास्टिक पैकिंग महुआ शराब की उपलब्धता बड़ गई है। और आसानी से ग्रामीण क्षेत्रों सहित शहरी क्षेत्र में मिलने लगे हैं। इसकी बिक्री को बड़ावा देने के लिए पता नहीं किसने जिम्मेदारी उठाई है? और इस गोरखधंधे पर लगाम लगाने के बजाए धृतराष्ट्र बनकर मलाई खाने में लगे हैं।

अवैध शराब कारोबारियों के पास कहा से आता है तय मात्रा से अधिक शराब ?

नये आबकारी नियम के तहत एक व्यक्ति को एक बॉटल या 4 क्वाटर ही शराब काउंटर से देने का नियम व प्रावधान बनाया गया है। इसके बावजूद जैजैपुर,हसौद क्षेत्र में तमाम गांव के अवैध शराब कोंचियों तक शराब की पेटी पहुंच रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार सरकारी शराब दुकान से थोक मात्रा में निकलने वाली इन शराब पेटियों में सेल्समैन से लेकर आबकारी वृत्त का कमीशन बंधा होता है। जिसके कारण सरकारी शराब दुकान से आसानी से थोक मात्रा में अवैध शराब कोंचियों को शराब उपलब्ध हो रहा है।

आबकारी विभाग की लचर कार्यप्रणाली की वजह से अवैध शराब का धंधा फल-फूल रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह एक कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है। सूत्रों के जानकारी के मुताबिक बीते कुछ महने में कच्ची जहरीली शराब पीने से एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अभी राज्य में सरकार बदले हुए आधा साल भी नहीं बीता लेकिन आबकारी विभाग ने फिर अपने पुराने ढर्रे पर चलना शुरू कर दिया है। बड़ी-बड़ी बातें करने वाले जिला आबकारी अधिकारी की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है।

ढाबा में बैठाकर बेखौफ बिक्री कर रहे ढाबा संचालक

आबकारी विभाग को सूचना देने पर पूछने लगते है जन्मकुंडली और इतिहास

आपको थोड़ा अटपटा तो लग रहा होगा लेकिन यह सच है कार्यवाही के नाम पर महुआ शराब कारोबारियों पर एक दो कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपाने वाला आबकारी विभाग कभी भी कोचिया पर कार्यवाही करता नजर नही आया। अगर किसी के द्वारा अवैध कोचियाओ के बारे में जानकारी भी दी जाए तो साहब इतने अनजान बन जाते है। जैसे उन्हें कुछ पता ही न हो और उल्टा सुचान देने वाले से जगह और व्यक्ति का नाम पूछने लगते है। अगर जगह और व्यक्ति का नाम बता दिया जाए तो फिर अगले की जन्मकुंडली और इतिहास पूछने लगते है कि उसके पिता का क्या नाम है। उसके नाना मामा का क्या नाम है,कितने भाई है,क्या खाते है क्या पीते है कैसे रहते है। जबकि आबकारी विभाग को हर वो जगह और आदमी पता है। जहाँ कोचिया शराब बिकती है वही जब महुआ शराब पर कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपाने वाली आबकारी विभाग को कागजी खाना पूर्ति करना होता है तो न जगह पुछते है और नाम और उक्त आदमी तक पहुंच जाते है। यह एक अच्छी बात है लेकिन इसी तरह अगर आबकारी विभाग कोचिया पर भी कार्यवाही करे तो शायद जिले में कुछ हद तक अपराध पर अंकुश लग सकता है। ऐसे में एक और सवाल खड़ा होता है कि गांव में शहरों में घर मे बनने वाले महुआ शराब का पता आबकारी विभाग को हो जाता है लेकिन सड़क किनारे ढाबा,किराना दुकान,अंडा दुकान वालो के यहाँ बिकने वाला कोचिया शराब नजर नही आता इसमें सवाल उठना लाजमी है कि आबकारी विभाग के संरक्षण में कोचिया शराब की बिक्री गांव- गांव, ढाबओं में हो रही है।

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