
सूरज बीसी देवभोग न्यूज
देवभोग न्यूज _: सरकारी स्कूल में शौच की व्यवस्था को ध्यान में रखते शिक्षा विभाग द्वारा गरियाबंद जिले में 1 करोड़ 23 लाख 70 हजार 308 रुपए की लागत से 121 स्कूलों में शौचालय निर्माण के लिए बीते 18 फरवरी को स्वीकृत किया गया और निर्माण एजेंसी की जिम्मेदारी सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग को बनाया गया बकायदा शौचालय निर्माण के लिए सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग को प्रथम किश्त के नाम पर 61 लाख 28 हजार 654 रुपए जारी किया गया बावजूद इसके आज पर्यंत विद्यालयों में शौचालय निर्माण के लिए एक ईट तक नहीं रखा गया है और यह देवभोग ब्लॉक में साफ साफ देखने को मिल रहा है जबकि उल्लेखित स्कूलों में शौचालय की आवश्यकता काफी ज्यादा बताई जाती हैं क्योंकि कई ऐसे स्कूल हैं जहां वर्षों पहले विद्यालयों में शौचालय निर्माण किया रहा उसकी हालत काफी ज्यादा खराब है उक्त शौचालय में शौच तो दूर की बात है खड़ा होना भी मुश्किल होता है जिसके चलते स्कूली बच्चों को खुले में शौच करना मजबुरी होता है नदी नाला सहित अन्य खुले जगहों का शौच के लिए सहारा लेना पड़ता हैं और ऐसी विडंबना से जिम्मेदार अधिकारी भी अच्छी तरह अवगत है मगर शौचालय निर्माण के लिए किसी प्रकार कोई पहल नहीं किया गया बल्कि तरह तरह का बहानेबाजी करते लगातार टाल मटोल कर रहे हैं जिससे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों में भी नाराजगी व्याप्त है क्योंकि अभी तक सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग की और से विद्यालय में शौचालय निर्माण के लिए गंभीर नहीं हैं शायद यही वजह है स्वीकृत स्कूलों में शौचालय निर्माण ऊपर वाले के भरोसे माना जाता है शाला प्रबंधन में नाराजगी _: विद्यालयों में शौचालय निर्माण को लेकर जिस तरह लाफरवाही बरती जा रही है उससे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ साथ शाला प्रबंधन में भी खासी नाराजगी देखने को मिल रहा है बकायदा इसको लेकर सांसद सचिव और विभागीय मंत्री तक शिकायत पहुंचाने की तैयारी किया जा रहा है ताकि स्कूली बच्चों समस्या को मद्देनजर रखते जल्द से जल्द शौचालय का निर्माण किया जा सके समीक्षा में भी नहीं होती पहल _: सबसे ताजुब्ब की बात तो यह है कि विभागीय कार्यों की समीक्षा के दौरान आदिवासी विभाग का समीक्षा में भी कोई पहल नहीं हो पाती तभी विभागीय जिम्मेदार अधिकारी सुस्ती रवैया को अपनाए हुए हैं जबकि आंकड़ा में देवभोग ब्लॉक के विद्यालयों में स्वीकृत शौचालयों में से एक भी शौचालय का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है फिर भी जिम्मेदार अधिकारियों को कार्यवाही की तलवार से बचाया जाना समझ से परे है प्रथम किश्त की राशि निजी उपयोग में _: सूत्रों के अनुसार सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग को जो प्रथम किश्त की राशि जारी किया गया है उक्त राशि को विभागीय अधिकारियों ने अपने निजी कार्यों में खर्च करने की चर्चा प्रशासनिक गलियारों में खूब हो रही हैं क्योंकि जारी अनुसार प्रथम किश्त की राशि विभाग के खाते में नहीं होने का अंदेशा लगाया जा रहा है तभी महीनों बाद भी शौचालय निर्माण के मैटेरियल तक का इंतजाम नहीं किया जा सका मतलब जिस राशि का उपयोग बच्चों को खुले में शौच मुक्त करने के लिए शौचालय निर्माण में होना चाहिए अधिकारी उसे अपने सहूलियत अनुसार इस्तेमाल कर रहे है और इससे डीईओ सहित शीर्ष अधिकारी भी अवगत है फिर भी तमाम जिम्मेदार अधिकारी के कानों में जू तक नहीं रेंग रहा है इससे विभाग अधिकारियों के सेटिंग का अंदाजा लगाया जा सकता है

