सक्ती/अवधेश टंडन । मिनीमाता बागों नहर परियोजना के अंतर्गत जैजैपुर से ओडेकेरा की ओर हो रहे लगभग 6 किलोमीटर लंबे मरम्मत कार्य में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। जानकारी के अनुसार, निर्माण कार्य में न तो गुणवत्ता का ध्यान रखा जा रहा है और न ही नियमों का पालन किया जा रहा है, जिससे पूर्व में बना नहर स्ट्रक्चर जर्जर हो चुका है और आगे एक मौसम भी नहीं टिकने की स्थिति में है।

विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत, बिना निगरानी हो रहा निर्माण

मिली जानकारी के अनुसार, जल संसाधन विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत से यह काम किया जा रहा है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्य स्थल पर किसी जिम्मेदार अधिकारी की उपस्थिति नहीं है। ठेकेदार मनमाने ढंग से काम कर रहा है और किसी तरह की तकनीकी निगरानी नहीं हो रही है।

घटिया सामग्री और तकनीकी मानकों की अनदेखी

नहर मरम्मत कार्य में सीमेंट, गिट्टी और अन्य निर्माण सामग्री की गुणवत्ता बेहद खराब बताई जा रही है। बिना वाइब्रेटर के कंक्रीट का उपयोग, और ढलाई के बाद सिंचाई की व्यवस्था नहीं करना सीधे तौर पर निर्माण की मजबूती को प्रभावित करता है। यह सब आने वाले समय में नहर के फिर से टूटने का कारण बन सकता है।

नहीं लगाया गया निर्माण बोर्ड – पूरी प्रक्रिया गोपनीय

सरकारी नियमों के तहत हर निर्माण स्थल पर निर्माण की जानकारी संबंधी बोर्ड लगाना अनिवार्य है, ताकि जनता यह जान सके कि कहां, क्या और कितनी लागत में निर्माण हो रहा है। लेकिन इस निर्माण स्थल पर कोई सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिससे यह संदेह और गहरा हो जाता है कि विभाग कुछ छिपा रहा है।
यह जनता के पैसों से जनता के लिए हो रहा निर्माण कार्य है, लेकिन इसे निजी प्रोजेक्ट की तरह गुपचुप तरीके से संचालित किया जा रहा है।

बरदुली तक पूरी नहर व्यवस्था चरमराई, किसानों की फसल संकट में

जैजैपुर से बरदुली तक की लगभग 15 किलोमीटर लंबी नहर पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। कई जगह बांध टूटने की कगार पर हैं। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी से अब तक इस खंड में मरम्मत कार्य शुरू नहीं किया गया है, जिससे हजारों लीटर पानी के बर्बाद होने और किसानों की फसल चौपट होने का खतरा गहराता जा रहा है।

मांग – उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर हो कार्रवाई

स्थानीय ग्रामीणों और किसानों ने इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह नहर परियोजना भ्रष्टाचार का एक और नमूना बनकर रह जाएगी और इसका सबसे बड़ा खामियाजा मेहनतकश किसानों को भुगतना पड़ेगा।

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