हेमंत जायसवाल @जांजगीर-चांपा :- बसंतपुर बैराज परियोजना से प्रभावित किसानों को 13 साल बाद भी मुआवजा राशि नहीं मिल पाई है। मुआवजा राशि की मांग को लेकर प्रभावित किसानों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है। किसान बैराज पर ही बैठकर धरना प्रदर्शन कर कर रहे हैं।दरअसल के एस के पावर प्लांट द्वारा बम्हनीडीह ब्लॉक के बसंतपुर में विगत 13 वर्षो पूर्व किसानों का 30 एकड़ जमीन अधिग्रहण कर बैराज निर्माण कर वर्धा पावर प्लांट को पानी सप्लाई किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि उन्हें मुआवजा राशि नहीं मिला है । बिना मुआवजा दिए ही बैराज में पानी को रोका जा रहा है जिसकी वजह से महानदी के तटीय क्षेत्र के किसान फसल नहीं लगा पा रहे हैं। फसल उत्पादन नहीं कर पाने की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति दिनोंदिन खराब हो रही है। किसान लगातार उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को मामले से अवगत करा रहे हैं लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी किसानों की समस्या की और ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिसकी वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मुआवजा नहीं मिलने से नाराज किसानों ने अब आंदोलन का रूख अपनाया है। किसान बैराज के ऊपर ही धरना में बैठकर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं।

25 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन,धरने में बैठे ग्रामीण

बसंतपुर के ग्रामीणो द्वारा अपनी 25 सुत्रीय मांगों को लेकर विगत दिनों भी गेट के सामने पानी सप्लाई बंद कर धरने पर बैठे थे तब धरने का उग्र रूप को देखते हुए बिर्रा टी आई, तहसीलदार, पटवारी, के एस के पावर प्लांट के प्रबंधक एवं ग्रामीणो के बीच 25 सुत्रीय मांगों को लेकर लिखित में समझौता हुआ था,जिसमें 8 दिनों में समाधान करने कि बात कहीं गई थी तब धरना समाप्त कर दिया गया था। लेकिन जब 8 दिन बीत जाने के बाद भी के एस के पावर प्लांट प्रबंधक के कान में जूं तक नही रेंगा। जिससे ग्रामीण नाराज होकर फिर से पुनः 25 सुत्रीय मांगों को लेकर 9 जनवरी से पुनः गेट के सामने पानी सप्लाई बंद कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये है।

जीवनदायिनी महानदी बनी किसानों के लिए आफत

महानदी बसंतपुर,देवरहा,बिर्रा,सलिहा के साथ ही आसपास के गांव के लोगों के लिए भी जीवनदायिनी नदी थी। क्षेत्र के किसान गर्मी के दिनों में सब्जी की खेती करते थे। किसान और गरीब वर्ग के लोगों के लिए सब्जी की खेती कमाई का स्रोत था लेकिन बैराज बनने के बाद बैराज में पानी रोक दिया जाता है जिसकी वजह से नदी में लगने वाली फसल अब नहीं लग पा रही है। किसान पिछले 13 वर्षों से अब खेती नहीं कर पा रहे हैं जिनकी वजह से अब उन्हें आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। वही बैराज में पानी रोकने की वजह से बरसात के दिनों में उनकी खेत डूबान में आ जाता है। जिसकी वजह से धान की फसलें भी खराब हो जाती है।बाढ़ से हुए नुकसान का भी मुआवजा नहीं मिलता।

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