छत्तीसगढ़ की धरती ने कई समाजसेवियों को जन्म दिया है, लेकिन कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो संघर्षों की आग में तपकर भी समाज सेवा को ही अपना जीवन बना लेते हैं। हुमेश जायसवाल ऐसे ही एक व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने तमाम कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद लोगों की सेवा को ही अपना धर्म बना लिया।

संघर्षों से सेवा तक का सफर

हुमेश जायसवाल का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लेने के बाद भी उन्होंने कभी अपनी परिस्थितियों को अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े हुमेश को शुरुआत से ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अपने सपनों को साकार करने की दिशा में निरंतर प्रयास किया।

परिवार की जिम्मेदारियां, समाज की चुनौतियां और आर्थिक परेशानियों के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से समाज सेवा का मार्ग चुना। उन्होंने न केवल खुद को बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। पत्रकारिता से लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा तक, उन्होंने हर क्षेत्र में अपने प्रयासों से लोगों की भलाई के लिए काम किया।


स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी योगदान

1. मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना में महत्वपूर्ण भूमिका

वर्तमान में हुमेश जायसवाल मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत संचालित मोबाइल मेडिकल यूनिट (MMU) में क्षेत्रीय प्रबंधक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस योजना के तहत वे स्लम क्षेत्रों और दूर-दराज के इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गरीब और वंचित वर्ग को भी उचित चिकित्सा सुविधा मिल सके।

मोबाइल मेडिकल यूनिट्स के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं, मुफ्त दवाइयां, नियमित जांच और विशेषज्ञ परामर्श जैसी सुविधाएं लोगों तक पहुंचाई जाती हैं। उनके कुशल प्रबंधन के कारण यह योजना कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कार्य कर रही है।

2. युवाओं को स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार से जोड़ना

हुमेश जायसवाल ने मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत युवाओं को स्वास्थ्य शिक्षा से जोड़ने और उन्हें रोजगार दिलाने का कार्य भी किया है। उनके प्रयासों से सैकड़ों युवाओं को मेडिकल और पैरा-मेडिकल क्षेत्र में प्रशिक्षित किया गया, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।

3. सस्ते दरों पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना

स्वास्थ्य सेवा को केवल अमीरों तक सीमित न रखते हुए उन्होंने अपने निजी अस्पताल के माध्यम से गरीबों और जरूरतमंदों को कम दरों में चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि कोई भी व्यक्ति पैसे के अभाव में इलाज से वंचित न रह जाए।


कोरोना काल में ऐतिहासिक संघर्ष

जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में थी, तब हुमेश जायसवाल ने अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना वॉरियर्स के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।

1. 63 दिनों का ऐतिहासिक आंदोलन

कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं दे रहे थे, लेकिन उन्हें उचित सम्मान और अधिकार नहीं मिल रहे थे। हुमेश जायसवाल ने कोविड-19 कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में 63 दिनों का ऐतिहासिक आंदोलन चलाया।

इस आंदोलन के तहत सरकार से मांग की गई कि कोरोना योद्धाओं को अतिरिक्त बोनस और सरकारी नौकरी में वरीयता दी जाए। सरकार ने उनकी मांग को स्वीकार किया और कोरोना वॉरियर्स को 10 अंकों का बोनस देने का प्रावधान किया, जिससे कई स्वास्थ्य कर्मचारी अब सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं।

2. मरीजों और जरूरतमंदों की सेवा

कोरोना काल में जब लोग अपनों से भी दूर भाग रहे थे, तब हुमेश जायसवाल ने मरीजों के इलाज, ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति और जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मानना था कि इस कठिन समय में हर व्यक्ति को एक-दूसरे का सहारा बनना चाहिए।


न्याय की लड़ाई में अडिग संकल्प

1. झूठे आरोपों से बाइज्जत बरी

किसी भी समाजसेवी को समाज में बदलाव लाने के दौरान कई बार षड्यंत्रों का शिकार होना पड़ता है। हुमेश जायसवाल के साथ भी ऐसा ही हुआ। जब उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, तो कुछ भ्रष्ट नेताओं ने उनकी छवि खराब करने की कोशिश की।

एक नेता ने अपनी ही पत्नी को झूठे मामले में पेश कर उनके खिलाफ नाबालिग से यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग और अन्य झूठे आरोप लगाए। लेकिन हुमेश जायसवाल ने हार नहीं मानी और कानूनी लड़ाई लड़ी। अंततः माननीय न्यायालय ने उन्हें दोषमुक्त कर बाइज्जत बरी कर दिया।

उनका मानना है कि –
“सच्चाई को जितना भी दबाने की कोशिश की जाए, अंत में जीत सत्य की ही होती है।”


आपदा प्रबंधन और समाज सेवा में अग्रणी भूमिका

1. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य

हर साल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। हुमेश जायसवाल ने इस स्थिति को समझते हुए बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत शिविर लगाए, जहां उन्होंने भोजन, कपड़े, दवाइयां और अस्थायी आश्रय उपलब्ध कराया।

2. गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए प्रयास

शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है, लेकिन गरीबी के कारण कई बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। हुमेश जायसवाल ने स्लम और ग्रामीण क्षेत्रों में नि:शुल्क शिक्षा, किताबें और अन्य शैक्षिक संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में भी कार्य किया है।

3. जरूरतमंदों को न्याय दिलाने में मदद

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कई लोग अपने अधिकारों और सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं रखते। हुमेश जायसवाल ने उन्हें कानूनी सहायता दिलाने, सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने और अन्य प्रकार से न्याय दिलाने में मदद की है।


समाज सेवा का एक नया आयाम

आज हुमेश जायसवाल सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि सेवा और समर्पण का प्रतीक बन चुके हैं। उन्होंने अपने संघर्षों से यह साबित कर दिया कि यदि किसी के इरादे सच्चे हों और दिल में समाज सेवा का जज्बा हो, तो कोई भी व्यक्ति समाज में बदलाव ला सकता है।

उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि –
“सेवा ही संकल्प, समाज सेवा ही जीवन।”

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