चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामकुमार यादव की जीवनगाथा संघर्ष, सेवा और सादगी की मिसाल है। एक चरवाहे से विधायक बनने तक का उनका सफर न केवल अद्वितीय है, बल्कि समाज के वंचित वर्गों के लिए आशा की किरण भी है।
मिट्टी के घर से शुरुआत और मातृभूमि के लिए जीवन समर्पित
रामकुमार यादव का जन्म 1 जून 1978 को छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के जमगहन गांव में हुआ था। उनके माता-पिता खेतों में मजदूरी करते थे और परिवार के पास एक कच्चा मकान भी मुश्किल से था। गरीबी इतनी थी कि उन्हें बस के टायर से बनी चप्पलें पहननी पड़ती थीं और पढ़ाई के लिए गांव के मवेशी चराते हुए स्कूल जाना पड़ता था। उनकी मां गैस की बीमारी से पीड़ित थीं, लेकिन इलाज के अभाव में उनका निधन हो गया। उनके भाई-भाभी भी कश्मीर में मजदूरी करते समय असमय मृत्यु को प्राप्त हुए।

चरवाहे से राजनीति में प्रवेश जाने संघर्ष की कहानी
रामकुमार ने अपनी पढ़ाई के लिए गांव के सभी मवेशियों को चराने की जिम्मेदारी उठाई। रोज सुबह गांव के सैकड़ों पशुओं को चराने जाते थे और तालाब में नहाकर सीधे स्कूल चले जाते थे। शुरुआत में स्कूल के मास्टर उन्हें देर से आने पर सजा देते थे, लेकिन जब शिक्षक को रामकुमार की परिस्थितियों की जानकारी मिली, तो उन्होंने सहयोग किया और रामकुमार ने जैसे-तैसे कर 10वीं तक पढ़ाई पूरी की और आगे की पढ़ाई के साथ साथ18 वर्ष की आयु में, रामकुमार ने अपने गांव में सड़क निर्माण के लिए संघर्ष किया, जिससे उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। 21 वर्ष की आयु में, उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा, जिसमें उन्होंने केवल एक पोस्टर के सहारे प्रचार किया और जीत हासिल की। बाद में, उन्होंने “छत्तीसगढ़ एकता मोर्चा” नामक पार्टी का गठन किया और किसानों के मुआवजे और जाति प्रमाण पत्र जैसे मुद्दों पर आंदोलन किए। इन आंदोलनों के दौरान, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भूपेश बघेल ने उनका समर्थन किया, जिससे वे कांग्रेस में शामिल हुए और 2018 में चंद्रपुर से विधायक निर्वाचित हुए।

विधायक के रूप में कार्य ऐसे न भूतों न भविष्यति
2018 में विधायक बनने के बाद, रामकुमार यादव ने क्षेत्र के विकास के लिए कई पहल कीं। उन्होंने चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के सभी स्कूलों के टॉपर छात्रों को दिल्ली भ्रमण पर भेजा, जिसमें उन्होंने स्वयं भी भाग लिया और छात्रों के लिए अच्छे होटल और भोजन की व्यवस्था की। उनकी सादगी, संघर्षशीलता और जनसेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें जनता के बीच अत्यंत लोकप्रिय बना दिया है।

सादगी संघर्षशीलता और जनसेवा और 2023 में पुनः विजय
2023 के विधानसभा चुनाव में, रामकुमार यादव ने भाजपा की संयोगिता सिंह जूदेव को 15,976 मतों से हराकर दूसरी बार विधायक बने। उनकी सादगी, संघर्षशीलता और जनसेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें जनता के बीच अत्यंत लोकप्रिय बना दिया हैl
रामकुमार यादव की कहानी यह सिद्ध करती है कि कठिन परिश्रम, ईमानदारी और सेवा भाव से कोई भी व्यक्ति समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकता है। उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह दर्शाता है कि सच्चे नेतृत्व की पहचान उसके कार्यों से होती है, न कि उसकी पृष्ठभूमि से।
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