प्रशांत राठौर /जांजगीर-चांपा। जिले में मैरिज गार्डन संचालकों की मनमानी से राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकतर मैरिज हॉल बिना रजिस्ट्रेशन और पार्किंग की व्यवस्था के संचालित हो रहे हैं। इन गार्डनों के बाहर वाहनों की लंबी कतारों के कारण यातायात बाधित हो रहा है, जिनपर कार्रवाई करने के बजाय नगर पालिका और यातायात पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।

ड्रीम प्वाइंट में अव्यवस्था का आलम

कलेक्ट्रेट चौक स्थित ड्रीम प्वाइंट होटल व मैरिज हॉल में अक्सर बड़ी-बड़ी शादियां आयोजित होती हैं। लेकिन पर्याप्त पार्किंग न होने से सड़क किनारे वाहन खड़े किए जाते हैं। शादी के समय यह समस्या और भी बढ़ जाती है, जिससे सड़क पूरी तरह जाम हो जाती है। एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं भी इससे प्रभावित हो रही हैं। ऐसा ही हाल कुछ दिनों पहले हुई शादी कार्यक्रम में देखने को मिला। जब ड्रीम प्वाइंट के बाहर वाहनों की लंबी कतार लगी हुई थी लेकिन यातायात व्यवस्था सुधारने में ड्रीम प्वाइंट संचालक व यातायात पुलिस पूरी तरह नाकाम रही।

शहर के अन्य मैरिज भवन का भी यही हाल

लिंक रोड स्थित जगनी सेलिब्रेशन, आशीर्वाद भवन के साथ ही अकलतरा रोड व नैला रोड में स्थित मंगल भवन, अग्रसेन भवन, हरियाली, ग्रीन पार्क जैसे अन्य मैरिज हाल में भी पर्याप्त पार्किंग सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। इनके बाहर खड़े वाहनों से यातायात बाधित होता है और राहगीरों को अपने वाहन चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बिना पार्किंग कैसे मिल गई अनुमति?

नगर पालिका कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार मैरिज गार्डन के लिए पहले तो व्यवसायिक भूखंड का डायवर्सन राजस्व विभाग से कराना होता है। इसके बाद नगर पालिका से भवन निर्माण की अनुमति लेना पड़ती है। नगर पालिका में नक्शा पेश करने के साथ ही सारे नियमों को भी पालन करना पड़ता है। नगर पालिका अधिकारी, इंजीनियरों द्वारा पूरा मौका मुआयना करने के बाद ही निर्माण अनुमति दी जाती है। अब सवाल ये उठता है कि जब मैरिज गार्डनों के पास पार्किंग व्यवस्था ही नहीं है तो उन्हें अनुमति कैसे दे दी गई।

नियम, जिनकी हो रही अनदेखी

  • कुल क्षेत्र का 25 फीसदी हिस्सा पार्किंग के लिए आरक्षित।
  • प्रत्येक मैरिज गार्डन संचालक को नगर पालिका से अनुमति लेना अनिवार्य।
  • मैरिज गार्डन के लिए फायर बिग्रेड की एनओसी के लिए भी शुल्क निर्धारित।
  • डीजे के लिए भी समय निर्धारितए रात 10 से सुबह 8 बजे तक प्रतिबंधित।
  • गार्डन में वॉटर हारर्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना जरूरी।
  • सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आने-जाने के लिए दो गेट लगाना जरूरी।
  • बिजली, पानी और आपात बिजली की व्यवस्था निश्चित मापदंड पर जरूरी।
  • सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की जवाबदारी भी मैरिज गार्डन संचालक की है।
  • गार्डन में केंद्र व राज्य शासन के ध्वनि व वायु प्रदूषण नियम का पालन हो।

कचरा प्रबंधन की कमी

सुप्रीम कोर्ट के नियम के अनुसार मैरिज गार्डन से निकलने वाले कचरे को गार्डन संचालक को ही नष्ट कराना अनिवार्य है, लेकिन रिहायशी क्षेत्रों के मैरिज गार्डन व होटलों के आसपास देखा जाए, यहां का कचरा बड़ी मात्र में देखने को मिल सकता है। अधिकतर गार्डनों में कचरा उचित ढंग से नष्ट करने की सुविधा तक नहीं है। कई शादी भवन संचालक तो पास में ही कचरा को फेंक देते हैं। इससे मोहल्लेवासियों का रहना मुश्किल हो जाता है।

जनता में आक्रोश, कार्रवाई की मांग

शहर के लोगों ने नगर पालिका और यातायात पुलिस से ठोस कार्रवाई की मांग की है। जनता का कहना है कि जब तक नियमों का सख्ती से पालन नहीं होगा, यह समस्या बनी रहेगी।

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