जांजगीर। जांजगीर-चांपा जिले में लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज सहित कई महाविद्यालयों पर मनमानी फीस वसूली और प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। यह मामला शिक्षा जगत में बड़ी चर्चा का विषय बन गया है। एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित शुल्क से अधिक वसूली की शिकायतों ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को हरकत में ला दिया है।

कॉलेज संचालक का पक्ष

लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज के संचालक राजेश मिश्रा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे कॉलेज को बदनाम करने की साजिश बताया है। उनका कहना है कि कॉलेज में फीस संबंधी किसी भी शिकायत को लेकर छात्र अमित राजवाड़े ने खुद स्पष्ट किया है कि उनके नाम का दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि 26 नवंबर को बीएड में एडमिशन के लिए अनुष्का जोगी ने आवश्यक दस्तावेज और शुल्क जमा कर प्रक्रिया पूरी की, जबकि अमित के दस्तावेज अधूरे थे।

राजेश मिश्रा का कहना है कि अमित को दस्तावेज पूरे करने का समय दिया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अमित के साथ कुछ बाहरी व्यक्तियों ने कॉलेज को ब्लैकमेल करने और धमकी देने का प्रयास किया। संचालक ने दावा किया कि कॉलेज एनसीईआरटी के सभी नियमों का पालन करता है और अधूरे दस्तावेजों के आधार पर एडमिशन संभव नहीं है।

संघ की वैधता पर सवाल

राजेश मिश्रा ने बीएड और डीएड प्रशिक्षित संघ की वैधता पर भी प्रश्न उठाए हैं। उनका कहना है कि संघ के अध्यक्ष का चुनाव बिना किसी प्रक्रिया के हुआ है, जो इसे अवैध बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ की ओर से की गई शिकायतों का उद्देश्य ब्लैकमेलिंग है।

वीडियो सबूत और आरोप

इस प्रकरण में शिकायतकर्ता अमित राजवाड़े ने आरोप लगाया है कि कॉलेज ने एनसीईआरटी द्वारा तय फीस से अधिक, यानी ₹1,15,000 की मांग की। अमित ने एक व्यक्ति का वीडियो भी रिकॉर्ड किया, जिसमें फीस मांगी जा रही थी। यह वीडियो वायरल हो चुका है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि कॉलेज में “नॉन-अटेंडेंस एडमिशन” दिए जाते हैं, जो रेगुलर छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन है।

अन्य महाविद्यालय भी जांच के घेरे में

लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज के अलावा शिवशक्ति डीएड-बीएड कॉलेज, ज्ञानदीप बीएड कॉलेज, और राधाकृष्ण बीएड कॉलेज पर भी मनमानी फीस वसूली के आरोप हैं। इन मामलों की जांच जिला शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में जारी है।

छात्रों की समस्या और प्रशासन की जिम्मेदारी

फीस वसूली और प्रशासनिक अनियमितताओं के कारण गरीब और मध्यमवर्गीय छात्रों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त करने में बाधा आ रही है। छात्रों और उनके परिवारों के लिए यह आर्थिक बोझ बन गया है। ऐसे में शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन पर पारदर्शिता और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है।

निष्पक्ष जांच की आवश्यकता

शिक्षा प्रणाली में सुधार और छात्रों के विश्वास को बहाल करने के लिए इन मामलों की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है। लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज सहित अन्य संस्थानों के खिलाफ लगे आरोपों की सच्चाई जांच के बाद ही सामने आएगी। शिक्षा क्षेत्र में ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम अनिवार्य है।



इस पूरे प्रकरण में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना आवश्यक है। छात्रों के हितों की रक्षा के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि शिक्षा क्षेत्र में विश्वास कायम रह सके।

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