डूमरपारा की डोलोमाइट खदानों में भारी भ्रष्टाचार, नियमों की उड़ रही धज्जियां
सक्ती/अवधेश टंडन। ग्राम डूमरपारा में संचालित डोलोमाइट खदान और क्रेशर संचालन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं और भ्रष्टाचार सामने आ रहे हैं। बालाजी मिनरल्स एंड मेटल्स तथा पी.आई. मिनरल्स के नाम पर संचालित खदान और क्रेशर का संचालन नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, एक ही ऑफिस से दो अलग-अलग नामों से फर्म का संचालन किया जा रहा है, जो खुद में संदेहास्पद है। ऐसा प्रतीत होता है कि दो नामों का इस्तेमाल जानबूझकर कर भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए किया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि रात के अंधेरे में अवैध रूप से डोलोमाइट का परिवहन कर उसे आस-पास की अन्य फर्मों को बेचा जा रहा है। यह पूरा कार्य बिना किसी अनुमति के, छिपकर अंजाम दिया जा रहा है। यह सब सक्ती जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर हो रहा है, और विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि जब भी इस भ्रष्टाचार को उजागर किया जाता है, विभागीय कार्रवाई होने के बजाय अवैध गतिविधियां और अधिक तेज़ी से बढ़ जाती हैं। बालाजी मिनरल्स एंड मेटल्स द्वारा अवैध डोलोमाइट परिवहन और वन विभाग की भूमि का बिना अनुमति उपयोग गंभीर सवाल खड़े करता है। साथ ही जंगल क्षेत्रों में फर्म द्वारा जगह-जगह मलबे का डंपिंग किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इस पूरे मामले पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (Green Tribunal) को भी संज्ञान लेने की आवश्यकता है। जब फर्म के मैनेजर से इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझा।
गौरतलब है कि डोलोमाइट खनन और लीज को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत भी सवाल उठा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और संबंधित विभाग इस गंभीर मुद्दे पर कब जागते हैं, या यह भ्रष्टाचार यूं ही चलता रहेगा।